गुरु जी क्रेडिट कार्ड क्या है ?
गुरुजी स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना का मुख्य उद्देश्य (Objective) झारखंड राज्य में 10वीं/12वीं कक्षा उत्तीर्ण करने वाले उन विद्यार्थियों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है, जो आर्थिक कारणों से उच्च शिक्षा प्राप्त करने से वंचित रह जाते हैं।
इस योजना के प्रमुख उद्देश्य और लक्ष्य निम्नलिखित हैं:
• उच्च शिक्षा तक पहुंच सुनिश्चित करना: योजना का लक्ष्य सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrolment Ratio – GER) को बढ़ाना और छात्रों के लिए उच्च शिक्षा तक पहुंच सुनिश्चित करना है। झारखंड का सकल नामांकन अनुपात 17% है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह 27% है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के अनुसार, सकल नामांकन अनुपात को वर्ष 2035 तक 50% तक बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। राज्य सरकार का ध्येय झारखंड के सकल नामांकन अनुपात को राष्ट्रीय स्तर के बराबर लाना है।
• आर्थिक बाधाओं को दूर करना: झारखंड राज्य में 10वीं/12वीं कक्षा उत्तीर्ण ऐसे विद्यार्थियों को आर्थिक सहायता प्रदान करना है, जो वित्तीय स्थिति के कारण उच्च शिक्षा प्राप्त करने में असमर्थ होते हैं। सरकार का एक प्रमुख उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी छात्र को उसकी वित्तीय स्थिति के कारण उच्च शिक्षा प्राप्त करने से वंचित न किया जाए।
• योग्यता प्राप्त छात्रों को सहायता: यह योजना वित्तीय रूप से कमजोर वर्गों के मेधावी छात्रों को उच्च अध्ययन के लिए सहायता प्रदान करने का प्रस्ताव करती है। इसका प्राथमिक उद्देश्य मेधावी छात्रों को उचित और किफायती नियमों और शर्तों पर बैंकिंग प्रणाली से वित्तीय सहायता के साथ उच्च शिक्षा प्राप्त करने का अवसर प्रदान करना है।
• योग्यता प्राप्त तकनीशियनों/पेशेवरों की राष्ट्र की बढ़ती आवश्यकता को पूरा करना।
यह योजना छात्रों को कई तरह से लाभ पहुंचाएगी:
• विभिन्न क्षेत्रों में उच्च शिक्षा: यह छात्रों को इंजीनियरिंग, मेडिकल, कानून, अनुसंधान, IITs, IIMs, AIIMS, NITs, XLRI, BITS, SPA, NID, IISc, IIFTs, ICFAI Business School जैसे क्षेत्रों/संस्थानों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने में सुविधा प्रदान करेगी।
• मान्यता प्राप्त संस्थानों में प्रवेश: छात्र उन उत्कृष्ट संस्थानों में प्रवेश ले सकते हैं जो NIRF रैंकिंग में समग्र सूची में शीर्ष 200 या अपनी संबंधित श्रेणी (जैसे विश्वविद्यालय, कॉलेज, इंजीनियरिंग, प्रबंधन, मेडिकल, डेंटल) में शीर्ष 100 के भीतर आते हैं, या जिन्हें NAAC द्वारा “ए” या उससे ऊपर का ग्रेड प्राप्त है।
• वित्तीय सहायता: छात्र सदस्य ऋणदाता संस्थानों (MLI) यानी बैंकों के माध्यम से शिक्षा ऋण प्राप्त कर सकते हैं।
• अधिकतम ऋण राशि: इस योजना के तहत अधिकतम 15 लाख रुपये तक का ऋण उपलब्ध है।
• कम ब्याज दर: छात्रों को मात्र 4% साधारण ब्याज दर पर ऋण का भुगतान करना होगा। शेष ब्याज राशि राज्य सरकार द्वारा ब्याज उपदान (Interest Subvention) के रूप में वहन की जाएगी, जिससे राज्य सरकार की भूमिका गारंटर की होगी।
• कोई गिरवी/संपार्श्विक सुरक्षा नहीं: छात्रों से ऋण के लिए किसी भी प्रकार की गिरवी या संपार्श्विक सुरक्षा (Collateral Security) नहीं ली जाएगी। माता-पिता/कानूनी अभिभावक सह-उधारकर्ता होंगे।
• गैर-संस्थानिक खर्चों के लिए भी ऋण: कुल स्वीकृत ऋण राशि का अधिकतम 30% गैर-संस्थानिक खर्चों (जैसे रहने का खर्च, भोजन, यात्रा, चिकित्सा सहायता) के लिए उपयोग किया जा सकता है।
• मोराटोरियम अवधि: पाठ्यक्रम पूरा होने के एक वर्ष बाद या रोजगार मिलने के एक वर्ष बाद, जो भी पहले हो, छात्रों के पास ऋण चुकौती शुरू करने का विकल्प होगा, जिसका अर्थ है 1 वर्ष की मोहलत अवधि (Moratorium Period)।
• ब्याज में छूट: यदि छात्र अध्ययन अवधि के दौरान ब्याज का पूरा भुगतान करना चुनते हैं, तो उन्हें ब्याज दर में 1% प्रति वर्ष की अतिरिक्त छूट मिलेगी, जिसकी वित्तीय जिम्मेदारी MLI वहन करेगा।
• प्रोसेसिंग शुल्क नहीं: बैंकों द्वारा छात्रों से ऋण के लिए कोई प्रोसेसिंग शुल्क नहीं लिया जाएगा।
• ई-कार्ड: झारखंड के सरकारी/निजी विद्यालयों में 12वीं कक्षा में अध्ययनरत इच्छुक छात्र-छात्राओं को पंजीकरण के बाद सिस्टम जनरेटेड ई-कार्ड (गुरुजी स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड) उपलब्ध कराया जाएगा।
गुरुजी स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं, जिनका उद्देश्य झारखंड के छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में सहायता करना है:
• मुख्य उद्देश्य:
◦ झारखंड राज्य में 10वीं/12वीं कक्षा उत्तीर्ण करने वाले उन विद्यार्थियों को वित्तीय सहायता प्रदान करना, जो आर्थिक कारणों से उच्च शिक्षा प्राप्त करने से वंचित रह जाते हैं।
◦ राज्य के सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrolment Ratio – GER) को बढ़ाना, जिसका लक्ष्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के अनुसार वर्ष 2035 तक 50% तक करना है। वर्तमान में झारखंड का GER 17% है, जबकि राष्ट्रीय औसत 27% है।
◦ यह सुनिश्चित करना कि किसी भी छात्र को उसकी वित्तीय स्थिति के कारण उच्च शिक्षा प्राप्त करने से वंचित न किया जाए।
◦ मेधावी छात्रों को उचित और किफायती नियमों और शर्तों पर बैंकिंग प्रणाली से वित्तीय सहायता के साथ उच्च शिक्षा प्राप्त करने का अवसर प्रदान करना।
• ऋण संबंधी प्रावधान:
◦ अधिकतम ऋण राशि: इस योजना के तहत 15 लाख रुपये तक का शिक्षा ऋण उपलब्ध कराया जाएगा।
◦ ब्याज दर:
▪ छात्रों को मात्र 4% साधारण ब्याज दर पर ऋण का भुगतान करना होगा।
▪ शेष ब्याज राशि राज्य सरकार द्वारा ब्याज उपदान (Interest Subvention) के रूप में वहन की जाएगी, जिसमें राज्य सरकार की भूमिका गारंटर की होगी।
▪ MLI (Member Lending Institutions) द्वारा लड़कों के लिए SBI के प्रचलित EBLR (External Benchmark Lending Rate) + 1.5% प्रति वर्ष, और लड़कियों/अन्य के लिए SBI के EBLR + 1% प्रति वर्ष की दर से ब्याज लिया जाएगा।
▪ यह ब्याज दर फ्लोटिंग (floating) होगी और SBI के EBLR में संशोधन के अनुसार समय-समय पर संशोधित होगी, तथा ऋण की पूरी अवधि के लिए साधारण ब्याज दर पर गणना की जाएगी।
▪ यदि छात्र अध्ययन अवधि के दौरान ब्याज का पूरा भुगतान करना चुनते हैं, तो उन्हें ब्याज दर में 1% प्रति वर्ष की अतिरिक्त छूट मिलेगी।
◦ गिरवी/संपार्श्विक सुरक्षा: छात्रों से ऋण के लिए किसी भी प्रकार की गिरवी या संपार्श्विक सुरक्षा (Collateral Security) नहीं ली जाएगी। माता-पिता/कानूनी अभिभावक सह-उधारकर्ता होंगे।
◦ प्रोसेसिंग शुल्क: बैंकों द्वारा छात्रों से ऋण के लिए कोई प्रोसेसिंग शुल्क नहीं लिया जाएगा।
◦ मोराटोरियम अवधि (Moratorium Period): पाठ्यक्रम पूरा होने के एक वर्ष बाद या रोजगार मिलने के एक वर्ष बाद, जो भी पहले हो, छात्रों के पास ऋण चुकौती शुरू करने का विकल्प होगा, जिसका अर्थ है 1 वर्ष की मोहलत अवधि。
◦ ऋण वापसी की अधिकतम अवधि: 15 वर्ष तक की होगी (अध्ययन अवधि और मोराटोरियम अवधि सहित)।
◦ मार्जिन मनी: 4 लाख रुपये तक के ऋण के लिए शून्य (NIL), और 4 लाख रुपये से ऊपर के ऋण के लिए कुल स्वीकृत ऋण राशि का 5% होगा। छात्रवृत्ति/सहायता को मार्जिन में शामिल किया जाएगा。
◦ बीमा: स्वीकृत ऋण राशि तक छात्र के नाम पर जीवन बीमा कवर होगा, जिसका प्रीमियम छात्र को वहन करना होगा और इसे ऋण खाते से डेबिट किया जा सकता है।
• पात्रता मानदंड:
◦ छात्र को भारतीय नागरिक होना चाहिए।
◦ छात्र ने झारखंड के मान्यता प्राप्त स्कूल से 10वीं कक्षा (डिप्लोमा के लिए) या 10वीं और 12वीं कक्षा (स्नातक और उससे ऊपर के पाठ्यक्रमों के लिए) उत्तीर्ण की हो।
◦ छात्र ने NIRF रैंकिंग में समग्र सूची में शीर्ष 200 या संबंधित श्रेणी में शीर्ष 100 के भीतर आने वाले संस्थानों में प्रवेश प्राप्त किया हो, या जिन्हें NAAC द्वारा “ए” या उससे ऊपर का ग्रेड प्राप्त हो।
◦ आवेदन के समय छात्र की आयु 40 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।
◦ छात्र इस योजना या किसी अन्य बैंक से समान पाठ्यक्रम के लिए पहले से शिक्षा ऋण का लाभार्थी नहीं होना चाहिए।
• ऋण का उपयोग (उद्देश्य):
◦ संस्थानिक व्यय (Institutional Expenses): कुल स्वीकृत ऋण राशि का उपयोग संस्थानिक खर्चों के लिए किया जा सकता है, जिसमें कोर्स फीस (ट्यूशन फीस), परीक्षा फीस, लाइब्रेरी फीस, हॉस्टल और मेस फीस (यदि शुल्क संरचना में शामिल हो), कॉशन डिपॉजिट, भवन फंड, और संस्थान द्वारा प्रदान की गई अध्ययन सामग्री (पुस्तकें, कंप्यूटर, लैपटॉप, टैबलेट) शामिल हैं।
◦ गैर-संस्थानिक व्यय (Non-Institutional Expenses): कुल स्वीकृत ऋण राशि का अधिकतम 30% गैर-संस्थानिक खर्चों के लिए उपयोग किया जा सकता है, जिसमें बाहर रहने का किराया, बाहर से भोजन की सेवाएं, अध्ययन यात्रा/सम्मेलनों के लिए यात्रा खर्च, निवास स्थान से संस्थान तक यात्रा खर्च, विशेष-सक्षम छात्रों के लिए चिकित्सा सहायता, और 0 से 5 वर्ष की आयु के बच्चों वाली महिलाओं के लिए डे-केयर/चाइल्ड केयर सेवाएं शामिल हैं।
◦ गैर-संस्थानिक अग्रिम (Non-Institutional Advance): यह गैर-संस्थानिक व्यय के पहले संवितरण के रूप में एकमुश्त अग्रिम के रूप में उपलब्ध होगा।
• योजना का क्रियान्वयन और निगरानी:
◦ वेब पोर्टल: योजना के क्रियान्वयन के लिए एक वेब पोर्टल (और मोबाइल एप्लिकेशन) तैयार किया जाएगा, जो आवेदन, ऋण संवितरण, ब्याज उपदान, शिकायत निवारण और विभिन्न हितधारकों के डैशबोर्ड के लिए उपयोग किया जाएगा।
◦ कॉर्पस बैंक (Corpus Bank): योजना के लिए आवंटित निधि को रखने, वेब पोर्टल को विकसित और रखरखाव करने, और ब्याज उपदान तथा क्रेडिट गारंटी के संवितरण के लिए एक कॉर्पस बैंक (HDFC Bank को स्वीकृत) का चयन किया गया है।
◦ क्रेडिट गारंटी: राज्य सरकार बैंकों को ऋण की राशि पर 100% गारंटी कवर प्रदान करेगी।
◦ उच्च स्तरीय समिति (High Level Committee): योजना के सुचारु क्रियान्वयन, समन्वय और निगरानी के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है, जो निर्णय लेने और दिशा-निर्देश जारी करने के लिए अधिकृत होगी।
◦ उच्चाधिकार निगरानी समिति (High Power Monitoring Committee): योजना की प्रगति की नियमित निगरानी के लिए एक उच्चाधिकार निगरानी समिति का भी प्रस्ताव है।
◦ परियोजना निगरानी इकाई (Project Monitoring Unit – PMU): योजना के समग्र प्रबंधन, निगरानी और रिपोर्टिंग में उच्च स्तरीय समिति की सहायता के लिए पेशेवर सलाहकारों से युक्त एक PMU का गठन किया जाएगा।
◦ सार्वजनिक शिकायत निवारण केंद्र (Public Grievance Redressal Centre): योजना के क्रियान्वयन में किसी भी समस्या के निवारण के लिए एक सार्वजनिक शिकायत निवारण केंद्र (हेल्पलाइन) स्थापित किया जाएगा।
◦ ई-कार्ड: झारखंड के सरकारी/निजी विद्यालयों में 12वीं कक्षा में अध्ययनरत इच्छुक छात्र-छात्राओं को पंजीकरण के बाद सिस्टम जनरेटेड ई-कार्ड (गुरुजी स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड) उपलब्ध कराया जाएगा।
◦ जागरूकता और आउटरीच कार्यक्रम: योजना में उच्च भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए सभी हितधारकों द्वारा बहु-स्तरीय जागरूकता अभियान और आउटरीच कार्यक्रम चलाए जाएंगे।
◦ वित्तीय मॉडलिंग: योजना के वित्तीय प्रभाव और विभिन्न डिफ़ॉल्ट स्तरों पर वार्षिक वित्तीय बोझ की जांच के लिए एक वित्तीय मॉडल तैयार किया गया है।
यह योजना झारखंड सरकार द्वारा छात्रों को उच्च शिक्षा तक पहुँच प्रदान करने और उनकी वित्तीय बाधाओं को दूर करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है।
गुरुजी स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना के वृहद संदर्भ में, वित्तीय मॉडल (2023) एक महत्वपूर्ण उपकरण है जिसे झारखंड सरकार के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग (DHTE) द्वारा योजना के वित्तीय प्रभावों का आकलन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस मॉडल का मुख्य उद्देश्य विभिन्न डिफ़ॉल्ट स्तरों (जैसे 10% या 20% छात्रों द्वारा ऋण चुकाने में चूक) पर राज्य सरकार पर पड़ने वाले वित्तीय प्रभावों की जाँच करना है।
वित्तीय मॉडल के डिज़ाइन हेतु प्रमुख धारणाएँ (Assumptions): इस वित्तीय मॉडल को डिज़ाइन करते समय कई महत्वपूर्ण धारणाएँ (मान्यताएँ) ली गई हैं, जिनमें शामिल हैं:
• वार्षिक ऋण सीमा: प्रत्येक वर्ष स्वीकृत की जाने वाली कुल ऋण राशि 500 करोड़ रुपये पर सीमित है।
• पाठ्यक्रम की अवधि: छात्र जिस पाठ्यक्रम में नामांकित है, उसकी कुल अवधि 4 वर्ष मानी गई है।
• कुल ऋण अवधि: ऋण की कुल अवधि 15 वर्ष है, जिसमें 4 वर्ष का पाठ्यक्रम अवधि, 1 वर्ष की मोरेटोरियम अवधि (ऋण चुकाने से छूट) और 10 वर्ष की चुकौती अवधि शामिल है।
• ऋण वितरण: कुल ऋण राशि का वितरण 4 साल की पाठ्यक्रम अवधि में संस्थान के शुल्क कार्यक्रम के अनुसार किया जाएगा।
• प्रति छात्र औसत ऋण: प्रति छात्र औसत ऋण राशि 12,00,000 रुपये (बारह लाख रुपये) है।
• छात्र द्वारा भुगतान: पाठ्यक्रम और मोरेटोरियम अवधि के दौरान छात्र द्वारा न तो मूलधन और न ही ब्याज का भुगतान किया जाएगा।
• फंड का उपयोग: योजना के तहत आवंटित राशि का उपयोग ब्याज सबवेंशन (छूट) भुगतान और क्रेडिट गारंटी भुगतान (डिफ़ॉल्ट होने पर) के लिए किया जाएगा।
• छात्रों का अनुपात: ब्याज दर की गणना के लिए लड़के और लड़कियों के छात्रों को समान अनुपात में माना गया है।
• ब्याज दर का आधार: एसबीआई की ईबीएलआर (EBLR) को ब्याज दर की गणना के लिए आधार माना गया है, जो 15/12/2022 को 9.15% थी।
• कॉर्पस फंड पर ब्याज: कॉर्पस फंड पर अर्जित ब्याज 5% प्रति वर्ष (चक्रवृद्धि) माना गया है।
• वार्षिक गारंटी शुल्क: कुल बकाया ऋण राशि पर 0.50% प्रति वर्ष (चक्रवृद्धि) का वार्षिक गारंटी शुल्क माना गया है।
• क्रेडिट गारंटी भुगतान: डिफ़ॉल्ट के खिलाफ क्रेडिट गारंटी भुगतान को ऋण स्वीकृति के वर्ष से छठे वर्ष में माना गया है।
• अतिरिक्त फंड: डीएचटीई (DHTE) प्रत्येक वर्ष के अंत में शेष उपलब्ध फंड को कॉर्पस बैंक में जमा करेगा।
विश्लेषण हेतु परिदृश्य (Scenarios for Analysis): वित्तीय मॉडल को तीन अलग-अलग परिदृश्यों का उपयोग करके विश्लेषित किया जा सकता है, ये सभी 20% डिफ़ॉल्ट दर पर आधारित हैं:
1. परिदृश्य 1: क्लोजिंग बैलेंस (अंतिम शेष राशि) को 50 से 100 करोड़ रुपये के आसपास रखना।
2. परिदृश्य 2: क्लोजिंग बैलेंस को 30 करोड़ रुपये के आसपास रखना।
3. परिदृश्य 3: क्लोजिंग बैलेंस को शून्य या पर्याप्त स्तर पर रखना, यानी केवल आवश्यक बहिर्प्रवाह (outflow) की सीमा तक।
इन परिदृश्यों में इंटरेस्ट पेमेंट (ब्याज भुगतान), गारंटी फीस (गारंटी शुल्क), और डिफ़ॉल्ट (चूक) जैसी वित्तीय जानकारी का विस्तृत वार्षिक विवरण शामिल है, जो योजना की व्यवहार्यता और राज्य सरकार पर पड़ने वाले दीर्घकालिक वित्तीय बोझ को समझने में मदद करता है।
योजना के वृहद संदर्भ में महत्व: गुरुजी स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना झारखंड के उन छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए बनाई गई है जो आर्थिक कारणों से उच्च शिक्षा प्राप्त करने से वंचित रह जाते हैं। इस योजना का लक्ष्य राज्य के सकल नामांकन अनुपात (GER) को बढ़ाना है। राज्य सरकार 4% के साधारण ब्याज दर पर अधिकतम 15 लाख रुपये तक का शिक्षा ऋण उपलब्ध कराती है, जिसमें राज्य सरकार गारंटर की भूमिका निभाती है और बैंकों को ऋण राशि की 100% गारंटी देती है। छात्रों से कोई संपार्श्विक सुरक्षा (collateral security) नहीं ली जाती है। यह वित्तीय मॉडल राज्य सरकार को इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत अपनी वित्तीय देनदारियों, विशेष रूप से ब्याज सबवेंशन और डिफ़ॉल्ट ऋण खातों के लिए क्रेडिट गारंटी के प्रबंधन के लिए एक स्पष्ट रोडमैप प्रदान करता है।
गुरुजी स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना (Guruji Student Credit Card Scheme) के व्यापक संदर्भ में, समझौते (Agreements) योजना के सफल कार्यान्वयन और वित्तीय प्रबंधन के लिए एक महत्वपूर्ण आधार स्तंभ हैं। ये समझौते विभिन्न हितधारकों (stakeholders) के बीच भूमिकाओं, जिम्मेदारियों और वित्तीय प्रवाह को औपचारिक रूप देते हैं।
झारखण्ड सरकार के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग (DHTE) ने योजना के विस्तृत दिशानिर्देशों (Detailed Guidelines) के तहत तीन मुख्य प्रकार के समझौतों के प्रारूप संलग्न किए हैं, जिन पर स्वीकृति प्रदान की गई है:
1. ववभाग (DHTE) और कॉर्पस बैंक (Corpus Bank) के बीच एकरारनामा (समझौता):
◦ पक्ष: उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग (प्रथम पक्ष) और कॉर्पस बैंक (द्वितीय पक्ष)।
◦ उद्देश्य और कार्यक्षेत्र: यह समझौता कॉर्पस बैंक को योजना के लिए कॉर्पस फंड रखने और प्रबंधित करने के लिए नियुक्त करता है। कॉर्पस बैंक योजना के वेब पोर्टल (Web Portal) के विकास और रखरखाव के लिए जिम्मेदार है, जिसमें वेब और मोबाइल एप्लिकेशन दोनों शामिल हैं। वेब पोर्टल का विकास और रखरखाव बिना किसी अतिरिक्त लागत के किया जाएगा।
◦ मुख्य प्रावधान:
▪ कॉर्पस फंड पर प्रचलित ब्याज दर का भुगतान।
▪ वेब पोर्टल को झारखण्ड राज्य डेटा सेंटर/MeiTY क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर पर होस्ट करना।
▪ वेब पोर्टल के लिए सुरक्षा ऑडिट, ISO प्रमाणन सुनिश्चित करना।
▪ टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर स्थापित करना।
▪ वित्तीय डेटा का प्रबंधन, जैसे ब्याज सबवेंशन (interest subvention), डिफ़ॉल्ट दायित्व, कॉर्पस फंड का वास्तविक समय संतुलन, आदि।
▪ पोर्टल के समग्र कामकाज की निगरानी और छात्रों व सदस्य ऋणदाता संस्थानों (MLI) के लिए हेल्पडेस्क सहायता प्रदान करना।
▪ बग समाधान, गोपनीय जानकारी का प्रबंधन, बौद्धिक संपदा अधिकार और विवाद समाधान प्रक्रियाएं भी शामिल हैं।
2. ववभाग (DHTE) और सदस्य ऋणदाता संस्थान (Member Lending Institution – MLI) के बीच एकरारनामा (समझौता):
◦ पक्ष: उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग (प्रथम पक्ष) और सदस्य ऋणदाता संस्थान (द्वितीय पक्ष)।
◦ उद्देश्य और कार्यक्षेत्र: यह समझौता MLI को गुरुजी स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना के तहत ऋणदाता सदस्य के रूप में सूचीबद्ध करता है। DHTE इस समझौते के तहत ₹15 लाख तक के शिक्षा ऋण के लिए क्रेडिट गारंटी प्रदान करने का वचन देता है। यह MLI को ब्याज सबवेंशन और क्रेडिट गारंटी व्यवस्था के तहत कार्य करने के लिए अधिकृत करता है।
◦ मुख्य प्रावधान:
▪ ₹15 लाख की अधिकतम ऋण सीमा बिना किसी संपार्श्विक सुरक्षा (collateral security) के।
▪ ब्याज दर MLI द्वारा SBI की EBLR दर पर आधारित होगी, जिसमें लड़कों के लिए 1.5% और लड़कियों/अन्य के लिए 1% अतिरिक्त होगा, लेकिन छात्र को अंततः 4% साधारण ब्याज दर पर ही भुगतान करना होगा (शेष सरकार द्वारा सबवेंशन के माध्यम से वहन किया जाएगा)।
▪ मार्जिन मनी (₹4 लाख तक NIL, ₹4 लाख से ऊपर 5%)।
▪ MLI की जिम्मेदारियां: ऋण मूल्यांकन और संवितरण, संस्थागत खर्चों का समय पर भुगतान, क्रेडिट गारंटी कवर के लिए जानकारी जमा करना, आधार नंबर से ऋण को जोड़ना, उधारकर्ता के खाते की निगरानी करना, और डिफ़ॉल्ट होने पर ऋण वसूली के प्रयास करना।
▪ MLI को बकाया ऋण राशि पर प्रति वर्ष 0.50% का वार्षिक गारंटी शुल्क (Annual Guarantee Fee – AGF) का भुगतान करना होगा।
▪ गारंटी का विस्तार (100% डिफ़ॉल्ट राशि तक) और गारंटी लागू करने की प्रक्रिया।
▪ MLI द्वारा ब्याज सबवेंशन दावों का त्रैमासिक ऑडिट।
▪ गोपनीयता, क्षतिपूर्ति (indemnification), उल्लंघन के परिणाम, अप्रत्याशित घटना (force majeure), मध्यस्थता और कानूनी विवादों का निपटान।
3. ववभाग (DHTE), सदस्य ऋणदाता संस्थान (MLI) और छात्र के बीच त्रिपक्षीय एकरारनामा (Tripartite Agreement):
◦ पक्ष: उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग (प्रथम पक्ष), सदस्य ऋणदाता संस्थान (द्वितीय पक्ष) और छात्र (तृतीय पक्ष) (जिसमें माता-पिता/कानूनी अभिभावक सह-उधारकर्ता के रूप में शामिल होंगे)।
◦ उद्देश्य और कार्यक्षेत्र: यह समझौता छात्र को गुरुजी स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना के तहत वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए औपचारिक रूप देता है। यह तीनों पक्षों के अधिकारों और दायित्वों को निर्धारित करता है।
◦ मुख्य प्रावधान:
▪ अधिकतम ₹15 लाख का ऋण।
▪ छात्र के लिए 4% साधारण ब्याज दर।
▪ कोई संपार्श्विक सुरक्षा आवश्यक नहीं है, केवल माता-पिता/कानूनी अभिभावकों का सह-दायित्व।
▪ छात्र के नाम पर स्वीकृत ऋण राशि तक का जीवन बीमा।
▪ ऋण संवितरण का तरीका (संस्थागत व्यय सीधे संस्थान को, गैर-संस्थागत व्यय छात्र के खाते में)।
▪ पाठ्यक्रम पूरा होने या रोजगार प्राप्त करने के एक वर्ष बाद तक की मोरेटोरियम अवधि (जो भी पहले हो)।
▪ ऋण चुकाने की अधिकतम अवधि 15 वर्ष (अध्ययन और मोरेटोरियम अवधि सहित)।
▪ यदि छात्र अध्ययन अवधि के दौरान ब्याज चुकाता है, तो ब्याज दर में 1% की छूट मिलेगी।
▪ संस्थागत और गैर-संस्थागत खर्चों (गैर-संस्थागत के लिए अधिकतम 30%) के उपयोग का विवरण।
▪ ऋण आवेदन, संवितरण, संस्थागत और गैर-संस्थागत खर्चों की प्रतिपूर्ति की विस्तृत प्रक्रिया।
▪ डिफ़ॉल्ट होने पर NPA घोषित करने और PDR अधिनियम (Public Demand Recovery Act) के तहत वसूली की प्रक्रिया।
▪ उल्लंघन के परिणाम, अप्रत्याशित घटना, मध्यस्थता और कानूनी विवादों का निपटान।
संक्षेप में, गुरुजी स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना में ये समझौते एक मजबूत कानूनी और परिचालन ढांचा प्रदान करते हैं। वे राज्य सरकार, बैंकों (कॉर्पस बैंक और MLI), और छात्रों के बीच वित्तीय प्रवाह, जोखिम साझाकरण और जवाबदेही को स्पष्ट रूप से परिभाषित करते हैं, जिससे योजना का सुचारू और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित हो सके।